“पतंजलि संन्यास आश्रम” का आरम्भ सन् २०१० में “वैदिक गुरुकुलम्” के नाम के साथ हुआ-
जहाँ पर परम पूज्य महाराज श्री एवं परम पूज्य आचार्य श्री के सानिध्य में संस्कृत व्याकरण, दर्शन, उपनिषद्, गीता, रामायण, महाभारत, निरुक्त इत्यादि वैदिक वाङ्गमय का विस्तार से अध्ययन कराते हुए अध्ययनरत् तेजस्वी ब्रह्मचारियों एवं त्याग तपस्या से युक्त संन्यासियों के जीवन का सर्वांङ्गीण विकास किया जाता है ।
यहाँ प्रत्येक वर्ष रामनवमी से आरम्भ करके गुरुपूर्णिमा पर्यन्त उन जिज्ञासुओं को प्रवेश का अवसर प्रदान किया जाता है जो आत्मजागरण के साथ ही राष्ट्रजागरण की मशाल को भी साथ लेकर चलने के लिए तत्पर हो एवं अंत में जब पतंजलि संन्यास आश्रम की तपश्चर्या से तपकर तेजस्वी ब्रह्मचारी संन्यास दीक्षा ग्रहण करके समाज के विभिन्न घटकों जैसे शिक्षा, चिकित्सा, संगठन इत्यादि क्षेत्रों में प्रवेश करता है तो वहाँ अपने अलौकिक पुरुषार्थ व पराक्रम से नए कीर्तिमानों को स्थापित करते हुए सम्पूर्ण समष्टि को आनन्द से आच्छादित करने के लिए यत्नशील बना रहता है।